Monday, December 23, 2024
Homeब्रेकिंग न्यूज़ह्वेनसांग ने नालन्दा के अतीत को संजोने का कार्य किया : राकेश...

ह्वेनसांग ने नालन्दा के अतीत को संजोने का कार्य किया : राकेश बिहारी

साहित्यिक मंडली शंखनाद के सचिव राकेश बिहारी शर्मा ने आज नालन्दा जिला स्थापना दिवस के मौके पर कहा कि नालंदा जिला का स्थापना दिवस हर वर्ष 9 नवंबर को जिले में प्रमुखता से मनाया जाता है, लेकिन दो साल से कोरोना संक्रमण के कारण यह दिवस प्रमुखता से नहीं मनाया जा रहा है। नालंदा का बिहारशरीफ एक ऐतिहासिक नगर है, बिहारशरीफ राजगीर तथा पाटलिपुत्र के बाद मगध का तीसरा शहर है। 750-1543 ईस्वी में जब राजगीर उजड़ चुका था और पाटलिपुत्र जलमग्न होकर बर्बाद हो गया था तो उदंतपूरी यानी बिहारशरीफ जो पहले पाल राजा की और फिर तुर्क अफगान शासन की राजधानी रही थी, विहारों की अधिकता देखकर मुस्लिम आक्रमणकारियों ने नगर का नाम बिहार रख दिया। विहारों की अधिकता से विहार कहलाने बाला यह नगर हजारों मजारों की अधिकता से तीर्थ सूचक शरीफ शब्द जुड़ जाने से बिहारशरीफ हो गया। 1865 में यह बिहार अनुमंडल का और 9 नवंबर 1972 में नालंदा जिला का मुख्यालय बना। 1869 में स्थापित बिहार नगरपालिका 2002 में बिहारशरीफ नगर परिषद तथा 2007 में बिहारशरीफ नगर निगम बनी। जब 09 नवंबर 1972 को नालंदा जिला गठित हुआ तो 10 नवंबर 1972 का यह दिन बड़ा ऐतिहासिक था सोगरा उच्च विद्यालय के मैदान में भारी जन सैलाब उमड़ा तत्कालीन मुख्यमंत्री केदार पांडे जिला उद्घाटन के लिए पधारें थे। बिहार के तत्कालीन मंत्री डॉक्टर रामराज प्रसाद सिंह ने अध्यक्षता किया था। तत्कालीन जिलाधिकारी विंध्यनाथ झा ने स्वागत किया। साहित्यकार डॉ. हरिश्चंद्र प्रियदर्शी ने मुख्यमंत्री के अभिनंदन पत्र पढ़े और मानपत्र समर्पित किया। मुख्यमंत्री ने यंत्र चालित बटन दबाकर जिला के नक्शे को आलोकित-उदघाटित किया था। तालियों व नारों के बीच समारोह के सचिव प्रख्यात डॉक्टर आर ईसरी अरशद के धन्यवादज्ञापन के साथ समारोह संपन्न हुआ था। ऐतिहासिक बिहारशरीफ जिला मुख्यालय बन गया। नालंदा जिला पूरब में सरमेरा, अस्थावां तक पश्चिम में तेल्हाडा तक दक्षिण में गिरियक तक उतर में हरनौत तक फैला हुआ है। जिला बनने के बाद नालंदा ने अभूतपूर्व प्रगति की है। चौड़ी-चौड़ी सड़के-शिक्षा, विशिष्ट संस्थान एवं अन्य कई विकास कार्य हुए हैं। उन्होंने कहा कि चीनी चात्री ह्वेनसांग के बिना नालन्दा का इतिहास अधूरा है। ह्वेनसांग ने नालन्दा के अतीत को संजोने का कार्य किया था, वे यहां आए तो थे बौद्ध धर्म की उत्पति को समझने, लेकिन उन्होंने यहां के इतिहास को आज भी जिंदा रखने का काम किया है। नालन्दा पुर्नजीवित होने के रास्ते पर चला है इसमें ह्वेनसांग की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जिले के सर्वागिंन विकास और सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं धार्मिक एकता के रूप में जिला काफी समृद्ध और इसकी अपनी एक विशिष्ट पहचान है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments