बिहारशरीफ,19 अक्टूबर 2021 : 19 अक्टूबर की देर संध्या साहित्यिक मंडली शंखनाद के तत्वावधान में स्थानीय बिहारशरीफ के भैसासुर मोहल्ले में साहित्यकार डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह के आवास स्थित सभागार में शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह की अध्यक्षता तथा शंखनाद के मीडिया प्रभारी नवनीत कृष्ण के संचालन में शंखनाद के सदस्य शिक्षाशास्त्री मो. जाहिद हुसैन की शैक्षिक पुस्तक “शिक्षण तकनीक की रूपरेखा” का लोकार्पण जिला शिक्षा पदाधिकारी, नालंदा केशव प्रसाद के द्वारा शिक्षाशास्त्रियों की उपस्थिति में किया गया। मौके पर शंखनाद के सचिव शिक्षाविद् राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि “शिक्षण तकनीक की रूपरेखा”, मो. जाहिद हुसैन की नवीनतम रचना है, जो आधुनिक शिक्षण तकनीक को सांगोपांग व्याख्या करती है। यह पुस्तक अपने आप में एक प्रयोगशाला है। इस पुस्तक में शिक्षण विधा तथा कला से संबंधित दर्जनों आलेख हैं, जो शिक्षण को रोचक एवं प्रायोगिक रूप प्रदान करने में सहायक हैं। विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षकों के लिए भी शिक्षण संबंधी विभिन्न समस्याओं के समाधान व मार्गदर्शिका है। लेखक, शिक्षक के साथ-साथ, एक अनुसंधानवेत्ता भी हैं। इस पुस्तक में उन्होंने अपने शोध और अनुभव से प्राप्त ज्ञान एवं विधा को संग्रहित और सम्पादित किया है। यह पुस्तक शिक्षकों के लिए लाभकारी है बल्कि शोधकर्ता एवं छात्रों के लिए भी उपयोगी है। इस कठिन परिश्रम के लिए लेखक मो. जाहिद हुसैन बधाई के पात्र हैं।
आशा है, यह किताब शिक्षक और छात्रों के लिए बहुपयोगी सिद्ध होगी।लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि जिला शिक्षा पदाधिकारी नालंदा केशव प्रसाद ने कहा कि आज लगभग हर राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तरीय साहित्यिक मंच पर बिहार के शिक्षाविदों में नालंदा के शिक्षाविदों व साहित्यकारों की मजबूत उपस्थिति है। उन्होंने कहा कि शिक्षक मो. जाहिद हुसैन ने शिक्षक और शिक्षा सेवा के संकल्प को लेकर ही शैक्षिक पुस्तक “शिक्षण तकनीक की रूपरेखा” की रचना की है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक सभी विद्यालयों में होनी चाहिए जिससे शिक्षकों को इस पुस्तक के पढने से ज्ञानोपलब्धि होगा। यह पुस्तक शिक्षक समाज के लिए सचमुच अद्भुत है।अध्यक्षता करते हुए साहित्यिक मंडली शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि “शिक्षण तकनीक की रूपरेखा”, मो. जाहिद हुसैन की एक कालजयी कृति है। यह पुस्तक वर्तमान की थाती है तथा भविष्य की पाती है। यह एक विषयगत अनुभव आधारित सर्वमान्य रचना है। उन्होंने कहा- शिक्षण वह विधा है जो प्रस्तर को भी आईना बना देती है, चाहे वो क्वार्ट्ज हो या ग्रैनाइट। उसकी दिप्ती ऐसी होती है, जिसमें उसके सामने उपस्थित हर चीज का प्रतिविम्ब झलकता है। यह शत-प्रतिशत प्राकृतिक सत्य है। इसके सृजन के मूल में, इन तथ्यों का विशेष ध्यान रखा गया है। यह रचना न केवल शिक्षक के लिए पठनीय है, अपितु विद्यार्थी एवं अभिभावकों के लिए भी उपयोगी है। शंखनाद के उपाध्यक्ष बेनाम गिलानी ने कहा कि हर व्यक्ति का जीवन एक किताब होता है। बस फर्क इतना है कि व्यक्ति की नियत समय में मृत्यु हो जाती है जबकि पुस्तक अमर होती है। उन्होंने कहा कि पुस्तकों का उद्देश्य व्यक्ति के जीवन में ज्ञान को बढ़ाना होता है और उन्हें उम्मीद है कि लेखक मो. जाहिद हुसैन की पुस्तक “शिक्षण तकनीक की रूपरेखा” भी अपने उद्देश्य में सफल होगी। उन्होंने कहा कि आज शिक्षकों को जगाने की जरूरत है और यह काम शिक्षाविदों, साहित्यकारों तथा कवियों के बिना सम्भव नहीं है। राष्ट्र के सर्वांगीण विकास में लेखकों को अधिक कारगर भूमिका निभानी होगी। शायर मो. तनवीर साकित ने कहा कि मो. जाहिद हुसैन ने अपने जमीनी सोच और अनुभवों के आधार पर गम्भीर शिक्षण तकनीक की रूपरेखा पुस्तक लिखना एक चुनौती थी जिसे अत्यंत सक्षमता के साथ लिखा है। शिक्षाविद् क्रीत प्रसाद ने कहा कि
इस किताब में शिक्षक शिक्षा और शिक्षार्थी से सम्बन्धित समस्या को गंभीरता से बयां किया गया है। समारोह में शिक्षाविद् आलोक कुमार ने कहा कि मो. जाहिद हुसैन की पुस्तक “शिक्षण तकनीक की रूपरेखा” का लोकार्पण करते हुए मुझे काफी प्रसन्नता हो रही है। यह पुस्तक खासकर शिक्षकों तथा विद्यार्थियों को आत्ममंथन करने पर बाध्य करेगी। इस पुस्तक के शीर्षक “शिक्षण तकनीक की रूपरेखा” में ही इस पुस्तक का सार छुपा हुआ है। समारोह में लेखक शिक्षाविद् मो. जाहिद हुसैन ने कहा कि शिक्षण-प्रशिक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों के लिए शिक्षण की गूढ़ संकल्पनाओं को समझना और समझाना बेहद जरूरी है। ‘शिक्षण तकनीक की रूपरेखा’ इन्हीं संकल्पनाओं को परिवेशीय उदाहरण एवं व्यवहारिक प्रयोगों के साथ सरल तथा रोचक भाषा में समझाने का प्रयास करती है। यह दमदार शिक्षण और कारगर अधिगम की ऐसी रूपरेखा है,जिससे अनेक तकनीकें ईजाद की जा सकती है। किसने कौन-सी तकनीक दी ? यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना कि एक परिश्रमी शिक्षक के अनुभव की कसौटी पर खरा उतरा अनाम तकनीक जो बच्चों को ज्ञान, व्यवहार और कौशल से लबरेज कर रही हो। इस दौरान पत्रकार आशुतोष कुमार आर्य, शिक्षाशास्त्री दिलीप कुमार, डॉक्टर मोहम्मद शाहनवाज रिजवी, शिक्षाशास्त्री शशि भूषण पाण्डेय, शालिग्राम सिंह, शिक्षाशास्त्री सफदर हाशमी, शिक्षाशास्त्री अर्शद रज़ा, मो. शौकत अली, तंग अय्यूबी सहित कई साहित्यसेवी एवं शिक्षाशास्त्रियों ने भाग लिया।