बाढ़ से नालंदा में भीषण तबाही सरकार चुपचाप देखती रह रही है 6 महीना से बाढ़ पर काबू पाने के लिए इनकी तैयारी कहां चली गई शहर से लेकर गांव तक रहुई प्रखंड से लेकर हिलसा इस्लामपुर तक सरमेरा से अस्थामा तक चारों ओर पानी ही पानी किसान और मजदूर तबाह भूखों मरने की स्थिति पशुपालकों की तबाही अलग उक्त सवालों को उठाते हुए बी के एम यू के जिला सचिव राज राजकिशोर प्रसाद एवं ठेला फुटपाथ वेंडर्स यूनियन के जिला सचिव रामदेव चौधरी अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव सत्येंद्र कृष्णन गांव बचाओ संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष चंद्रशेखर प्रसाद ने संयुक्त बयान जारी कर बताया कि नालंदा की स्थिति अत्यंत ही दर्दनाक और सरकार के लिए शर्मनाक बना हुआ है किसानों के फसल डूब गए उनके फसल का नुकसान हो गया उपजा हुआ धान बर्बाद हो रहा है हजारों घर गिर चुके हैं हजारों घरों में पानी घुसा हुआ है।
काम के अभाव में मजदूर भूखे मर रहे हैं।किसानों के पूंजी खेत में लग चुके थे सब बर्बाद हो चुका है और सरकार चुपचाप देखती रह गई हम लोगों ने पहले भी सवाल उठाया था लेकिन सरकार नहीं सुनी भयानक स्थिति से निपटने हेतु हम लोग सरकार से मांग करते हैं कि अभिलंब टूटे हुए तटबंध कि मरम्मत युद्ध स्तर पर की जाए संपर्क पथ को मरम्मत किया जाए टूटे हुए पुल पुलिया को अविलंब मरम्मत कर चालू किया जाए सभी गरीबों को राशन अभिलंब दिया जाए आवश्यक वस्तुओं उपलब्ध कराया जाए तथा किसानों के जो क्षति हुई है उनका भरपाई करने हेतु प्रत्येक किसान को ₹25000 तत्काल दिया जाए मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है उनको भी प्रत्येक मजदूर को ₹10000 दिया जाए शहर के कामगारों एवं वासियों को अभिलंब ₹10000 देने की मांग सरकार से उन्होंने किया है।कई प्रखंडों से संपर्क साधने एवं अध्ययन करने पर पता चला है कि किसानों के फसलों की क्षति का अनुमान अरबों रुपयों में है
तथा मजदूर तबाह और बर्बाद हो चुके हैं खेती में काम करके जो अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं उन पर वज्रपात हो चुका है ।सरकार सिर्फ ढिंढोरा पीट रही लेकिन धरती पर कुछ भी काम नजर नहीं आ रही है उक्त नेताओं ने अभी बताया कि निकट भविष्य में हम किसानों और मजदूरों को संगठित कर इसके लिए आंदोलन चलाएंगे तथा जब तक किसानों और मजदूरों की भरपाई नहीं होगी हम चैन से नहीं बैठेंगे हम सड़क पर उतरेंगे और इसका समाधान निकालेंगे क्योंकि कानून बना हुआ है बाढ़ कोड बना हुआ है उसके अनुसार ना उसकी कोई तैयारी और ना कोई उसका जो परिवार इस से पीड़ित उसको कोई लाभ अभी तक नहीं मिल पाया नालंदा में तो यह बाढ़ का चौथे दौर है