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बिहारशरीफ : 8 नवम्बर 2022 (कार्तिक पूर्णिमा, विक्रम संवत् 2079) को श्री गुरुनानक देव जी शाही संगत मोगलकुआँ बिहारशरीफ में मंगलवार को बड़े ही श्रद्धा के साथ भाई रवि सिंह ग्रंथी जी के देख-रेख में समारोहपूर्वक गुरुनानक देव महाराज की 554 वां (जयंती) पावन प्रकाश उत्सव मनाया गया। गुरुद्वारा में सुबह पांच बजे के करीब गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश किया तथा पंच वाणी एवं सुखमणि साहब का पाठ किया गया। भाई रवि सिंह ग्रंथी जी ने अपनी मधुर वाणी से शत गुरु नानक प्रकटया मिट धुंध जग चानन होआ…, जोड़ा तार प्रभु दे नाल… नानक नाम जहाज तुम शरणाई आयो…, चीम चीम करदे अमृताधार…, गुरुनानक ने लियो अवतार… कौन जाने गुण तेरे सतगुरु…, तुम शरणाई आया ठाकुर… के बोल पर शबद कीर्तन से गुरुद्वारा में आस्था और भक्ति की धारा प्रावहित कर दी। भाई रवि सिंह ग्रंथी के साथ भाई सरदार वीर सिंह, शंखनाद के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत सिंह, महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने भी राग में राग मिलाकर शबद कीर्तन किया। गुरुवाणी के पाठ से मोहल्ले का माहौल गुरुमय हो गया। अरदास के बाद उपस्थित लोगों के बीच खीर और कड़ा प्रसाद का वितरण किया गया।

मौके पर गुरुद्वारा में शंखनाद के महासचिव साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि सिखों के पहले गुरु और सिख समुदाय के संस्थायपक गुरुनानक देवजी की आज जयंती है। अंग्रेजी कैलेंडर में उनका जन्मं साल 1469 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन माना जाता है। इस वर्ष यह तिथि 8 नवंबर को यानी आज है। आज विश्व में उनकी जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने विशेष रूप से सिख समुदाय के भाइयों और बहनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी। और इस पावन अवसर पर, हम सब अपने आचरण में गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का पालन करें। उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव ने लोगों को एकता, समरसता, बंधुता, सौहार्द और सेवाभाव का मार्ग दिखाया और परिश्रम, ईमानदारी तथा आत्मसम्मान पर आधारित जीवनशैली का बोध कराने वाला आर्थिक दर्शन दिया। उनका जीवन और उनकी शिक्षाएं, समस्त मानव जाति के लिए प्रेरणा पुंज हैं।

साहित्यिक मंडली शंखनाद के अध्यक्ष साहित्यकार डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि गुरुनानक देव ने एक ऐसे विकट समय में जन्म लिया जब भारत में कोई केंद्रीय संगठित शक्ति नहीं थी। विदेशी आक्रमणकारी भारत देश को लूटने और अराजकता फैलाने में लगे थे। धर्म के नाम पर अंधविश्वास और कर्मकांड चारों तरफ फैले हुए थे। ऐसे समय में नानक एक महान दार्शनिक, विचारक साबित हुए। गुरुनानक ने अपनी सुमधुर सरल वाणी से जनमानस के हृदय को जीत लिया। लोगों को बेहद सरल भाषा में समझाया सभी इंसान एक दूसरे के भाई है। ईश्वर सबके पिता हैं, फिर एक पिता की संतान होने के बावजूद हम ऊंच-नीच कैसे हो सकते हैं? गुरू नानक देव ने मूर्ति पूजा का विरोध करते हुए, एक निराकार ईश्वर की उपासना का संदेश दिया था।

भाई सरदार वीर सिंह के द्वारा गुरू साहब की वाणी का गुणगान किया और मौके पर लोगों के बीच अपने उद्गार में कहा कि गुरुनानक देव जी अपनी यात्रा के क्रम में पंजाब, बनारस, काशी, गया नवादा, राजगीर होते हुए बिहारशरीफ के मोगलकुआं, भरावपर, अंबेर मोहल्ला की पावन धरती पर आए थे। उनके सम्मान में ही यहां के स्थानीय लोगों ने यह भूमि उन्हें दी थी, जिसपर गुरूद्वारे की स्थापना की गई। 1934 के भूकंप में यहां का पुराना गुरुद्वारा ध्वस्त हो गया। तब जनसहयोग से गुरुद्वारे का निर्माण किया गया। लंबे समय से इसके निर्माण की मांग की जा रही थी। अब तख्त हरिमंदिर पटना साहिब के सौजन्य से नए गुरुद्वारे का निर्माण कराया गया है।
उन्होंने कहा- बिहारशरीफ के मोगलकुआं, भरावपर, अम्बेर मोहल्ला में गुरूनानक देवजी आये और यहां बहुत दिनों तक रह कर लोगों को ज्ञान दिए। उन्होंने बिहार सरकार से मांग किया है कि रजौली संगत नवादा की तरह बिहारशरीफ के सभी जीर्ण गुरुद्वारा को जीर्णोद्धार कर बिहार सरकार ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करे। और उन्होंने किरत करो नाम जपो वंड के खाओ पर अमल करने पर बल दिया।

वैज्ञानिक व साहित्यकार डॉ. आनंद वर्द्धन ने बताया कि गुरुनानक देव जी ऊंच-नीच का भेदभाव मिटाने के लिए लंगर की परंपरा चलाई। जहां कथित अछूत और उच्च जाति के लोग एक साथ लंगर में बैठकर एक पंक्ति में भोजन करते थे। आज भी सभी गुरुद्वारों में यही लंगर परंपरा कायम है। लंगर में बिना किसी भेदभाव के संगत सेवा करती है। गुरु नानक देव ने भारत सहित अनेक देशों की यात्राएं कर धार्मिक एकता के उपदेशों और शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार कर दुनिया को जीवन का नया मार्ग बताया।

गुरुद्वारा में उपस्थित पंजाब-पटियाला जिले नाभा शहर के अभियंता सरदार भाई प्रदीप सिंह जी ने बताया कि गुरु नानक देव जी ने कुरीतियों और बुराइयों को दूर कर लोगों के जीवन में नया प्रकाश भरने का कार्य किया। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए अपने पारिवारिक जीवन और सुख का त्याग करते हुए दूर-दूर तक यात्राएं कीं। उन्होंने बताया कि गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। गुरु नानक देव जी ने परमेश्वर एक है, हमेशा इमानदारी और परिश्रम से ही अपना पेट भरना चाहिए आदि का संदेश दिए।

शिक्षाविद राज हंस ने कहा गुरुनानक देवजी से हम सभी को बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। गुरु नानक देव जी ना सिर्फ सिक्ख धर्म के गुरु है बल्कि सर्व धर्म के गुरु है। श्री गुरुनानक देवजी ने मानवता के कल्याण के लिए लंगर की प्रथा चलाई जिसमें सब धर्म के लोग ऊच-नीच मिटा कर समानता से प्रसादी ग्रहण करते हैं।

इस दौरान योग गुरु रामजी प्रसाद यादव, सरदार शिव कुमार यादव, युवराज सिंह, भाई दीप सिंह जी, सतनाम सिंह, विनोद कुमार सिंह, रघुवंश सिंह, महेंद्र सिंह, विजय कुमार, राजदेव पासवान धीरज कुमार, सतनाम सिंह, सुरेश प्रसाद, सुनीता देवी, सुमन कुमार, रितीक कुमार, रिंकू कौर, प्रियंका कुमारी, एकामनी कौर, जसप्रीत कौर सहित कई श्रद्धालु उपस्थित रहकर इंसानियत और परोपकार की शिक्षा ली एवं गुरुनानक देव जी के अनमोल संदेशों का आत्मसात किया।

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