Sunday, December 22, 2024
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मोगलकुआं में गुरुनानक देव की 554 वाँ जयंती श्रद्धापूर्वक मनाई

बिहारशरीफ : 3 दिसम्बर 2023 ( विक्रम संवत् 2080) को श्री गुरुनानक देव जी शाही संगत मोगलकुआँ बिहारशरीफ में मंगलवार को बड़े ही श्रद्धा के साथ ग्रंथी भाई रवि सिंह जी के देख-रेख में समारोहपूर्वक गुरुनानक देव महाराज की 554 वां (जयंती) पावन प्रकाश उत्सव मनाया गया। गुरुद्वारा में सुबह पांच बजे के करीब गुरु का प्रकाश किया गया। गुरुद्वारा में गुरु ग्रंथ साहिब का सहज पाठ किया गया। ग्रंथी भाई रवि सिंह जी ने अपनी मधुर वाणी से शत गुरु नानक प्रकटया मिट धुंध जग चानन होआ…, जोड़ा तार प्रभु दे नाल… नानक नाम जहाज तुम शरणाई आयो…, चीम चीम करदे अमृताधार, गुरुनानक ने लियो अवतार… कौन जाने गुण तेरे सतगुरु…, तुम शरणाई आया ठाकुर… के बोल पर शबद कीर्तन से गुरुद्वारा में आस्था और भक्ति की धारा प्रावहित कर दी। भाई रवि सिंह ग्रंथी के साथ भाई सरदार वीर सिंह, शंखनाद के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने भी राग में राग मिलाकर शबद कीर्तन किया। गुरुवाणी के पाठ से मोहल्ले का माहौल गुरुमय हो गया। अरदास के बाद उपस्थित लोगों के बीच खीर और कड़ा प्रसाद का वितरण किया गया।

मौके पर समारोह के मुख्य अतिथि गुरुनानक देव मिशनरी के संयुक्त सचिव त्रिलोक सिंह निषाद ने कहा कि मोगलकुआँ में श्री गुरुनानक देव जी महाराज अपनी उदासी यात्रा के दौरान आये थे। उस समय वे पूरे देश के भ्रमण पर निकले थे। गुरुनानक देव जी जब वर्ष 1506 में राजगीर पधारे थे तो यहां के लोगों को ज्ञान देने के लिए बिहारशरीफ के मोगलकुआँ की इस पावन भूमि पर भी आये थे, जहाँ पर गुरुद्वारा का निर्माण किया गया है। गुरुनानक देवजी का जन्म साल 1469 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन माना जाता है। उन्होंने लोगों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी। इस पावन अवसर पर, हम सब अपने आचरण में गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का पालन करें। उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव ने लोगों को एकता, समरसता, बंधुता, सौहार्द और सेवाभाव का मार्ग दिखाया। उनका जीवन और उनकी शिक्षाएं, समस्त मानव जाति के लिए प्रेरणा पुंज हैं।देश में अमन चैन सुख शांति भाई चारा के लिए अरदास किया।

मोगलकुआं में गुरुनानक देव की 554 वाँ जयंती श्रद्धापूर्वक मनाई  मोगलकुआं में गुरुनानक देव की 554 वाँ जयंती श्रद्धापूर्वक मनाई

मौके पर शंखनाद के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने बताया कि गुरु नानक देव जी ने कुरीतियों और बुराइयों को दूर कर लोगों के जीवन में नया प्रकाश भरने का कार्य किया। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए अपने पारिवारिक जीवन और सुख का त्याग करते हुए दूर-दूर तक यात्राएं कीं। उन्होंने बताया कि गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। उनसे हम सभी को बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। गुरु नानक देव जी ना सिर्फ सिक्ख धर्म के गुरु है बल्कि सर्व धर्म के गुरु है। गुरु नानक देव जी ने सभी धर्मों का सम्मान कर सदमार्ग पर चलना सिखाया।

शंखनाद के कोषाध्यक्ष सरदार वीर सिंह ने कहा कि गुरुनानक देव ने ऐसे समय में जन्म लिया जब भारत में सामाजिक तौर पर काफी उथल-पुथल था। धर्म के नाम पर अंधविश्वास और कर्मकांड चारों तरफ फैले हुए थे। गुरुनानक ने लोगों को बेहद सरल भाषा में मानवता का पाठ समझाया। गुरू नानक देव ने मूर्ति पूजा का विरोध करते हुए, एक निराकार ईश्वर की उपासना का संदेश दिया था।

समारोह के विशिष्ट अतिथि तख्त हरमंदिर जी गरुद्वारा कमिटी पटना के प्रबंधक हरजीत सिंह जी ने बताया कि गुरुनानक देव जी ऊंच-नीच का भेदभाव मिटाने के लिए लंगर की परंपरा चलाई। जहां कथित अछूत और उच्च जाति के लोग एक साथ लंगर में बैठकर एक पंक्ति में भोजन करते थे। आज भी सभी गुरुद्वारों में यही लंगर परंपरा कायम है। लंगर में बिना किसी भेदभाव के संगत सेवा करती है। गुरु नानक देव ने भारत सहित अनेक देशों की यात्राएं कर धार्मिक एकता के उपदेशों और शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार कर दुनिया को जीवन का नया मार्ग बताया। गुरु नानक देव जी ने नाम जपो, कीरत करो व वंड छको अर्थात परमात्मा का नाम जपो, मेहनत करके खाओ और जो परमात्मा ने हमें दिया है उसे बांटकर खाओ, का संदेश दिया था। हमारा गुरु नानक देव जी की जयंती को मनाना तभी सार्थक सिद्ध होगा जब हम उनके बताए हुए रास्ते को अपनाकर संपूर्ण प्राणी मात्र का भला करते हुए परोपकार करते रहें।

इस दौरान सरदार अनिल सिंह, भाई अमर सिंह जी, अभियंता आनंद वर्द्धन, भाई दीप सिंह, सतनाम सिंह, रघुवंश सिंह,नीरज सिंह, युवराज सिंह, रिंकू कौर, जशप्रित कौर, एकामनी कौर, साबो देवी, काजल कौर, प्रियंका कौर, ब्यूटी कौर, गुड्डी कुमारी, प्रीति कुमारी, विजय कुमार, राजदेव पासवान धीरज कुमार, राजकुमार जी, सहित कई श्रद्धालु उपस्थित रहकर इंसानियत और परोपकार की शिक्षा ली एवं गुरुनानक देव जी के अनमोल संदेशों का आत्मसात किया।

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