बिहारशरीफ – 14 देशों से आए एल-20 के 49 सदस्यीय टीम नालंदा भ्रमण कार्यक्रम के तहत नालंदा भग्नावेश पहुंचे। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष व इंटरनेशनल नालंदा यूनिवर्सिटी का अवलोकन किया। विदेशों से आए प्रतिनिधि नालंदा से अच्छी यादें ले जाएं, विदेशों से आए मेहमानों को भारत की परंपरा से अवगत कराने के लिए कई प्रकार की गतिविधियों से स्वागत किया गया। 9.22 में कड़ी सुरक्षा के बीच टी-20 के प्रतनिधि नालंदा भग्नावेश पहुंचे तथा भारत माता की जय और बंदे मातरम् के जयघोष के साथ प्रवेश किया। मेहमानों को भारतीय व्यंजनों से भी रूबरू कराया गया। ब्रेकफास्ट के लिए भी पूरी तरह वातानुकूलित पंडाल तैयार किया गया था। सभी सदस्यों को प्रोटोकॉल के तहत पंडाल में ले जाया गया जहों मेहमानों ने लिट्टी, कावली, खाजा, काजू बर्फी, लाय आदि प्रकार के लजीज व्यंजन का लुफ्त उठाया। इस दौरान लोग आपस में लजीज व्यंजनों की तारीफ भी कर रहे थे।
भारतीय मेहमानबाजी से डेलिगेट्स काफी खुश हुए। छाछ और लस्सी में जाना फर्क – अल्पाहार के दौरान भारतीय व्यंजनों का अानंद लेने के साथ-साथ इसके बारे में जानकारी भी ले रहे थे। इटली से आए एक मेहमान ने लस्सी और छाछ दोनों को लिया। पीने के बाद दोनों वेराईटी स्वादिष्ट लगा। इसके बाद उपस्थिति भारतीय महिला कल्पना से दोनों के अंतर के बारे में जानकारी ली। कल्पना ने बताया कि लस्सी उन्हें ज्यादा स्वदिष्ट लग रहा था। इसलिए दोनो में अंतर के बारे में पुछ रहे थे। बताया कि दोनों दही का आईटम है। एक नमकीन आैर दुसरा मीठा होता है। साथ ही बनाने की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी दी। सदस्यों ने ली इतिहास की जानकारी,टीम को दो ग्रुप में बांटा गया था। एक ग्रुप को पुरातत्व विभाग के गाईड तथा दुसरी टीम को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सर्किल हेड डॉ. गॉतमी भट्टाचार्य नालंदा भग्नावेश के इतिहास से रूबरू करा रही थी। विश्वविद्यालय के निर्माण लेकर संरचना को ध्वस्त किए जाने तक पूरी जानकारी दी। दीवारों के साथ ही मंदिरों की निर्माण कला, यहां पढ़ने वाले छात्रों व पढ़ाने वाले अध्यापकों की कार्यशैली, रहने के तरीके, छात्रावास व पढ़ाई की गतिविधियों व अन्य संरचनाओं के बारे में विदेशी मेहमान काफी दिलचस्पी के साथ जानकारी ले रहे थे। इस दाैरान मेहमानों ने भी भग्नावेश की यादें अपने मोबाईल व कैमरा में कैद कर साथ ले गए। प्राचिन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावेश का भ्रमण करने के पश्चात मेहमन इंटरनेशनल नालंदा विश्वविद्यालय पहुंचे जहां 10 मिनट का पावर प्वायंट प्रजेंटेशन के माध्यम से विश्वविद्यालय के बारे में जानकारी दी गई। प्रजेंटेशन के माध्यम से 455 एकड़ में फैले परिसर को किस तरह नेट जीरो कैम्पस बनाया गया है। यहां की तमाम बिल्डिंग की संरचनाएं पुराने महाविहार से प्रेरित, लेकिन उनमें आधुनिकता के पुट का समावेश के बारे में बताया गया। कुलपति डॉ. अभय कुमार सिंह ने कहा कि 38 देशों के 925 से अधिक बच्चे यहां के छह स्कूलों में पढ़ रहे हैं। सुरक्षा को लेकर अधिकारी भी मुस्तैद दिखे।
देशी व विदेशी मेहमानों को एएसआई के राधाकिस्टो, अमृत झा, शंकर शर्मा, जलज कुमार तिवारी ने उनका मार्गदर्शन किया। जबकि, डीएम शशांक शुभंकर, एसपी अशोक मिश्रा, डीडीसी वैभव श्रीवास्तव, एसडीओ अनीता सिन्हा, एसडीसी अनिल कुमार समेत पुलिस-प्रशासन के अन्य अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था में तत्पर दिखे। अधिक गर्मी के कारण भ्रमण के दौरान टीम के सदस्य व जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अध्यापक डॉ. संतोष कुमार मुर्छित होकर अचानक गिर पड़े थे। लेकिन चिकित्सकों की तत्पराता से उन्हें संभाल लिया गया। गिरने के बाद तुरंत मौजूद आईजीआईएमएस के डॉक्टर द्वारा उन्हें चेकअप किया गया तथा तमाम तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। हलांकि थोड़ी देर बाद ही वे खुद उठकर अपने को अच्छा बताने लगे। एम-20 देशों के प्रतिनिधियों में एम पावालोवा, शहादत हुसैन खान, मि. वैस्सिल किरोव, मारियो बिग्गेरी, डॉ. कार्ल्स सालस पैज, ब्राइट डी. एलिजाबेथ, डॉ. रिमाह सालेह ए. अल्याह्या, अब्दुल मजीद, अब्दुल रहमानी, एस. अल्सेमिसी, माइक रोगन, हड्ज-हमाऊ नरीमेन, जेन ह्वांग, बिल्गे कोबान, अलेक्सजेंडर सॉइफर, निकोलस फर्नांडीज, हीरोमिची कटयामा, निकोलस लैंग्रिज व अन्य शामिल थे।
जबकि, एल-20 के संयोजक व भारतीय मजदूर संघ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बी. सुरेन्द्रण, बिहार, झारखंड व वेस्ट बंगाल प्रभारी व मीडिया समन्वयक पवन कुमार, राज्य मीडिया समन्वयक मुकेश सिन्हा, राज्य सचिव अशोक कुमार, सोनू समेत अन्य लोग शामिल थे। वहीं पर्यटन विभाग के पदाधिकारियों व कुशल पर्यटक गाइड प्रवीण कुमार, नवीन कुमार, चंदन कुमार, संतोष कुमार, संजय कुमार, आदित्य कुमार, शिवप्रिय सहित अन्य ने जी-20 के प्रतिनिधियों को यहां के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं के बारे में जानकारी दी गई। झारखंड व वेस्ट बंगाल प्रभारी व मीडिया समन्वयक पवन कुमार ने कार्यक्रम के उद्दश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पटना में आयोजित बैठक में जिसमें भारत सहित रसिया ,चाइना, जापान, साउथ अफ्रीका, बंगला देश, म्यामांर, भूटान ,नेपाल आदि देशों के 173 प्रतिनिधि ने भाग लिया। बैठक के दौरान मुख्य रूप से दो बिंदुओं पर चर्चा की गई है। पहला यूनिवर्सल सोशल सिक्योरिटी एंड पोर्टेबिलिटी ऑफ सोशल सिक्योरिटी फंड एवं इंटरनेशनल पोर्टिबिलिटी सिक्योरिटी ऑफ सोशल सिक्योरिटी फंड है शामिल है। इस एजेंडा के तहत वैसे मजदूर जो दूसरे देशों में काम करते हैं और जब वापस वहां से आते हैं तो उन्हें सामाजिक फंड किस प्रकार वापस मिले। साथ ही असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को भी कैसे सामाजिक सुरक्षा मिले इसकी चर्चा की गई है।इसक अलावे दुसरा मुख्य विषय कामकाजी महिलाएं को किस प्रकार सुरक्षित वर्किंग प्लेस मिले, संबंधित विषयो ंके एक्सपर्ट के सामने इस पर भी चर्चाकी गई है। उन्होंने बताया कि बीते 16-21 मार्च को अमृतसर में बैठक की गई थी जिसमें पांच टास्क फोर्स बनाई गई थी।
अलगे चरण में जुलाई माह में इंदौर में होने बाली मिनिस्ट्रीयल कॉन्फ्रेंस में टास्क फोर्स द्वारा तैयार ज्वाइंट स्टेटमेंट पारित किया जाएगा। और पारित स्टेटमेंट को सितंबर माह में नरेंद्र मोदी के अध्यक्षता में होने वाली बैठक में रखी जाएगी। ताकि इन ज्वाईट स्टेटमेंट को सभी देशो में लागू किया जाय। उन्होंने कहा कि वास्तव में पूरा बिहार बुद्ध, महावीर और गुरूगोबिंद सिंह की धरती रही है। इसके बाद चाण्क्य, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद आदि महापुरूषों के नाम भी बिहार जाना जा रहा है। इस बिहार की धरती से जो ज्ञान का संदेश निकलता है वह गरीब व मजदुरों के लिए समग्र कांति की बात होती है। आज मिडिया का भी शोषण हो रहा है। खासकर स्ट्रिंगर जो गांव और गलियों से समाचार लाने का काम करते हैं। मिडिया को भी समाजिक सुरक्षा मिले, इसके लिए भी भारतीय मजदुर संघ काम कर रही है।