राजगीर नगर पंचायत का वितीय वर्ष 2021-22 का बजट अभीतक नगर पंचायत बोर्ड के द्वारा पारित नही किया गया है। राजगीर नगर कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा बार बार लिखित एवँ मौखिक अनुरोध के बाबजूद नगर के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष सहित शसक्त कमिटी और सामान्य सदस्यों के बीच आपसी समन्वय के अभाव में बजट पारित करने का समय नही निकल पा रहा है।बजट प्राक्कलन को पारित कराने के लिए बीते फरवरी माह में ही बोर्ड के सदस्यों से बजट के लिए विशेष बैठक करने का पत्र नगर कार्यपालक की ओर से जारी किया गया था लेकिन नगर के अध्यक्ष,उपाध्यक्ष सहित बोर्ड के सदस्य किन कारणों से बजट पारित करने में दिलचस्पी नही लेते हैं यह आम नागरिकों के समझ से परे हैं। अमूमन बजट के बिना कोई संस्था चल ही नही सकती लेकिन नगर पंचायत राजगीर पूरे भारत के संविधान से विपरीत चलता है।बीते वर्ष 2020 -21 का बजट भी जिसे मार्च माह तक पारित हो जाना चाहिए था उसे पारित होने में 11 माह लगा।तब नगर के पार्षदों ने तत्कालीन अध्यक्ष उर्मिला देवी पर आरोप मढ़कर अध्यक्ष पद से हटा दिया था। फिर वर्तमान अध्यक्ष मुन्नी देवी के ताजपोशी के बाद नवम्बर माह में राजगीर नगर पंचायत का बजट पारित किया गया था।सरकार द्वारा वितीय व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए ही संविधान ने बजट की कल्पना की। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार सभी अपने हिसाब से सालाना आय व्यय के हिसाब से बजट को नफा या नुकसान के अनुसार पारित करते हैं लेकिन सूबे में एकमात्र राजगीर नगर परिषद ही ऐसा कार्यालय है जिसका बजट 11 माह बाद पारित होते देखा गया है।पुराने लोगो की कहावत भी नगर परिषद बोर्ड पर सटीक बैठती है कि खाता न बही,जो है सब सही।
नगर कार्यपालक द्वारा राजगीर क्षेत्र के बजट के संदर्भ में बीते फरवरी माह में अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कर वार्षिक बजट प्राक्कलन तैयार करने के लिए नगर क्षेत्र के बुद्धिजीवियों,प्रबंधक,हॉस्पिटल,महाविद्यालय एवँ स्कूल,कालेज सरकारी,गैर सरकारी संस्थानों से सुझाव भी आमंत्रित किये गए थे। नगर के बुद्धिजीवियों की ओर से अनेकानेक सुझाव भी नगर कार्यालय को प्राप्त हुए लेकिन जब नगर के नागरिक सुविधाओ की जिम्मेवारी जिनके कंधे पर है चाहे वह अध्यक्ष,उपाध्यक्ष ,सशक्त कमिटी और बोर्ड के सदस्य हो उनकी ही दिलचस्पी बजट को पारित कराने में नही है तब तो ऐसी परिस्थिति में नगर परिषद कार्यालय राजगीर का भगवान ही मालिक है। शायद यही वजह है कि भारत सरकार के सोशल ऑडिट रिपोर्ट में राजगीर नगर पंचायत की अनेकानेक लापरवाहियों के जगजाहिर होने के साथ अनेकानेक महत्वपूर्ण फाइल भी लापता दिखाया जाता है।
नगर कार्यपालक की ओर से बोर्ड के अध्यक्ष,उपाध्यक्ष शसक्त कमिटी को फरवरी माह से ही बजट पारित करने के लिए कहा जा रहा है लेकिन राजगीर नगर परिषद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की ओर से बजट पारित करने के लिए बैठक का कोई तिथि अभीतक निर्धारित नही किया गया है। कार्यपालक पदाधिकारी शशिभूषण प्रसाद द्वारा नगर के उपाध्यक्ष पिंकी देवी से अनुरोध किया गया है नगर अध्यक्ष से सम्पर्क कर बैठक आहूत किया जाय। नगर सूत्रों की माने तो कार्यालय में पूर्व की तरह ही शाह और मात का खेल चल रहा है।अध्यक्ष,उपाध्यक्ष और कार्यपालक की तिकड़ी में शहर के अनेकानेक जनहित और नागरिक सुविधाओं के विषय बजट पारित नही होने के कारण लंबित है। वही राजगीर नगर परिषद क्षेत्र के गणमान्य,बुद्धिजीवि बजट पारित करने के मामले में जनप्रतिनिधियों की उदासीनता पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।