बिहारशरीफ के दीपनगर में भीम आर्मी (भारत एकता मिशन) सह आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के कार्यालय में १२५ वीं जयंती मनाई गई। इस मौके पर भीम आर्मी (भारत एकता मिशन) तथा आजाद समाज पार्टी के जिला महासचिव एवं फुटपाथ विक्रेता संघ के अध्यक्ष रामदेव चौधरी तथा भीम आर्मी( भारत एकता मिशन) तथा आजाद समाज पार्टी (काशीराम) के जिला प्रभारी रंजीत कुमार चौधरी ने संयुक्त रूप से कहा कि सुभाष चंद्र बोस भारत के स्वतंत्र संग्राम के महानायक और महान नेताओं में से एक थे इनका जन्म 23 जनवरी1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था उन्होंने पिता के कहने पर इंडियन सिविल सर्विसेज की परीक्षा दिए थे और परीक्षा में टॉप भी किए थे वह किसी जिले में कलेक्टर बनकर ठाट बाट से जीवन जी सकते थे उस समय बहुत से नौजवान अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल अंग्रेजों की सेवा में कर रहे थे लेकिन सुभाष बाबू को या कतई मंजूर नहीं था उन्होंने चुना क्रांति का रास्ता और इस रास्ते के लिए उन्होंने नौकरी के लिए लालच नहीं किया और अपने आरामदायक जीवन को छोड़ दिया
अपना टाइम पूरा टैलेंट अंग्रेजों के सेवा करने के बजाए देश सेवा में लगा दिया आजाद हिंद फौज तैयार की और लाखों भारतीयों को अपने इसे जोड़ा उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को इतना बेबस कर दिया कि अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा सुभाष चंद्र बोस का प्रसिद्ध नारा तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा सुनकर देश के युवाओं में नहीं बल्कि बुजुर्गों के खून में भी उबाल उबाल आ जाता था उसके क्रांतिकारी तेवरों से ब्रिटिश राज हिल चुका था ब्रिटिश हुकूमत के मन में नेताजी का इतना डर भरा था कि 1 940 में जब नेता जी जेल में झूठा हड़ताल पर बैठे और उनकी हालत बिगड़ने लगी तो ब्रिटिश पुलिस ने घर छोड़ आई क्योंकि आदि नेता जी को कुछ हो जाता तो ब्रिटिश हुकूमत लाखों भारतीयों के गुस्से का सामना नहीं कर पाती 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार ने सभी बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया आंदोलन को बुरी तरह कुचलने का प्रयास किया इस दौरान केवल नेताजी एक ऐसे व्यक्ति थे जिनके नेतृत्व में आजाद हिंद फौज ने अंडमान निकोबार पर कब्जा कर लिया ब्रिटिश राज के रहते हुए उन्होंने भारत की पहली आजाद सरकार बनाई थी जिसे कई देशों की तरफ से मान्यता भी मिल गई थी निराशा से इस दौर में सुभाष चंद्र बोस ने जनता को जोश से भर दिया था किसी भी क्रांति के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है जोश।इसी जोश का परिणाम था कि भारत अगले 5 सालों में आजाद हो गया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने उनके रास्तों पर चलने के लिए संकल्प लिए। इनकी मृत्यु 14 अगस्त 1945 को हो गई थी। इस मौके पर जितेंद्र कुमार ब्रह्मदेव राम छोटेलाल प्रसाद धर्मेंद्र कुमार सिंघेश्वर प्रसाद सुनील कुमार चौरसिया कपिल प्रसाद बालेश्वर महतो शिवकुमार गोप बाल्मीकि शर्मा सरवन राजकुमार साव शिवकुमार यादव उमेश रामआदि लोग उपस्थित थे।